संविधान से बढ़कर नही हो सकती पंजाब सरकार-प्रकृति से बढ़कर निर्णय लेने का नही अधिकार


सतलुज यमुना लिंक परियोजना का मुद्दा पंजाब और हरियाणा के लिए गले की फांस बना हुआ है. शायद पंजाब के लिए ज्यादा -क्योंकि यहाँ चुनाव होने वाले है जिसको लेकर पूरी तरह से राजनीती की जा रही है। सूबे की सरकार और विपक्ष दोनों ही syl को लेकर अपना पक्ष रख रहे है. जनता को खूब लोक लुभावने वादे भी कर रहे है। लेकिन अगर दोनों ही राज्यों के राजनेतओं के बयानों को देखा जाये तो साफ़ है कि इनकी विचारधारा- इनका नियम प्रकृति के नियम से बढ़ा हो गया है. कुछ तत्व प्रकृति की देन है लेकिन कल को यही राजनेता ये भी कहेंगे की इस राज्य या इस देश की हवा दूसरे में न जाने दी जाये। प्रकृति की जो देन है उसपर अपना हक़ आजमाकर राजनीती कर रहे है। अगर ये गलत है तो इतने सालो तक पानी हरियाणा को दिया गया। उस दौरान का पंजाब में सूखा आ गया। न जाने को से समाज की बाते करते हैं -ज्ञात ही नहीं पड़ता। नैतिक शिक्षा में पड़ा था की बाँट कर खाने से प्यार बढ़ता है ,लेकिन ये आज जाहिर हो गया की अगर बांटे न तो दुरप्रचार बढ़ता है। 

इस प्रहार में हरियाणा के राजनेता भी कुछ काम नहीं है. हर कोई अपनी विचारधारा के अनुसार बयानबाजी कर रहा है। हाल ही में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुडा साहब ने एसवाईएल और पंजाब चुनाव का ज्यों ही ब्यान दिया विवादों में ही घिर गए। लेकिन सिलसिला थमा नहीं हाल ही में इनेलो नेता चौ. अभय चौटाला ने कहा कि पंजाब सरकार देश के संविधान से बढक़र नहीं हो सकती। मगर यह हरियाणा का दुर्भागय है कि हरियाणा बीजेपी के नेता पंजाब में जाकर बीजेपी का प्रचार कर रही है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने भी पंजाब में होने वाले चुनावों के लिए अमरेंद्र सिंह के पक्ष में प्रचार करने की बात कर रही है। जबकि एसवाईएल के मुद्दे पर सभी दलों को एक साथ होना चाहिए।रेवाड़ी में दिए गए ब्यान में चौटाला ने कहा कि इनेलो ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसके नेता स्व. चौ. देवीलाल ने सबसे पहले 31 मार्च 1978 को एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए सबसे पहले पैसा दिया था और अब भी इनेलो ने ही पंजाब सरकार के फैसले का सबसे पहले विरोध किया।

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