तिरंगा यात्रा: मंच से तिरंगे का सम्मान ,सामने से अपमान

देशभर में बीजेपी की तिरंगा यात्राओं का सिलसिला जारी है. इसका मक़सद शहीदों को याद करना और तिरंगे की शान बढ़ाना है. ये सिलसिला हिसार में भी पहुंचा. लेकिन यहां तिरंगे की शान बढ़ाने के बजाय उसकी जमकर बेअदबी हुई. आप ज़रा गौर से देखिए इन तरंगों को. किसी में केसरिया रंग से ऊपर हरी पट्टी दिखाई दे रही है, तो किसी में हरी पट्टी के नीचे केसरिया रंग दिखाई दे रहा है. तिरंगा यात्रा में शामिल होने पहुंचे बीजेपी के ज्यादातर कार्यकर्ताओं के हाथ में ऐसे ही तिरंगे थे. इन तरंगों की बेढंगे तरीक़े से कटिंग की गई थी. इसका नतीजा तस्वीरों में देख सकते हैं.


तिरंगे में तीन के बजाए चार-चार पांच-पांच पट्टियां नज़र आईं.मंच से तिरंगे के सम्मान में भाषणों का सिलसिला जारी था तो उसके सामने तिरंगे की बेअदबी का. सीपीएस डॉक्टर कमल गुप्ता, उनके बाद प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और फिर आखिर में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, एक के बाद एक नेता मंच से बोलते रहे. उन्होंने कार्यकर्ताओं को तिरंगे का सम्मान करने की हिदायत भी दी. लेकिन जो आंखों के सामने बेअदबी नज़र आ रही थी, सीधे तौर पर उसके बारे में नेताजी कुछ नहीं बोले.
vlcsnap-2016-08-22-16h45m31s40मीडिया के कैमरे पहुंचे तो बीजेपी कार्यकर्ताओं की नज़र भी पड़ी. तो आनन-फानन में तिरंगों को जिन bjp कार्यकर्ताओं के हाथ में बेढंगी कटिंग वाले झंडे थे, उन्हें दूसरे झंडों से बदलने का सिलसिला शुरु हुआ.तिरंगे की बेअदबी पर ज़ाहिर तौर से सवाल बीजेपी नेताओं से होने थे. मीडिया ने सवाल किया तो केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि अनजाने में किसी से ग़लती हो गई होगी, लेकिन तिरंगे की बेअदबी किसी ने जानबूझ कर नहीं की.
सुभाष बराला ने कहा कि उन्होंने कार्यकर्ताओं को तिरंvlcsnap-2016-08-22-16h46m30s116गे के सम्मान की हिदायत दी थी. हालाँकि जो बेअदबी उनकी आंखों के सामने हो रही थी उसके बारे में सुभाष बराला ना मंच से कुछ बोले और ना ही कैमरे के सामने.
देश में तिरंगा फहराना महज़ प्रतीकात्मक नहीं हो सकता… बल्कि इसके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. उन नियमों की अनदेखी और अवहेलना कानूनी और संवैधानिक आधार पर गलत है. सवाल यह है तिरंगे की जो बेअदबी अक्सर मीडिया के कैमरे में कैद हो जाती है वो नेताओं को क्यों नहीं दिखाई देती ? या जानबूझ कर इन ग़लतियों की अनदेखी की जाती है...

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