यह कौन है, जो हमारी आजादी के जश्न को भंग करने आ गया. यह कौन है जो ओलिंपिक में मिले दो पदकों के उत्साह को धूमिल करने का पाप कर रहा है. यह किस लोक का निवासी है, जिसमें इतना बल है कि दस किलोमीटर तक अपनी पत्नी के शव को लादे चला गया. उसकी बारह साल की बेटी जो जाहिर तौर पर हमारी किसी ‘बेटी बचाओ’ योजना का हिस्सा नहीं होगी, बिलखती रही, लेकिन उसके आंसू कालाहांडी के स्मार्ट सिटी न होने के कारण आंखों में ही सूख गए.
मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक खबर उड़ीसा के कालाहांडी से आई है कि यहां एक आदिवासी शख्स को अपनी बीवी का शव उठाकर 10 किलोमीटर तक पैदा चलना पड़ा, वो इसलिए क्योंकि उसके पास एंबुलेंस को देने के लिए पैसे नहीं थे.इस शख्स ने जिला अस्पताल के कई बार गाड़ी देने के लिए गुहार लगाई लेकिन उन्होंने देने से मना कर दिया. फिर माझी ने खुद ही आंखों में आंसू समेटे अपनी बीवी का शव एक चादर में लपेटा और अपनी बेटी को लेकर वहां से 60 किलोमीटर दूर अपने गांव (मेलघर) की ओर चल पढ़ा.
जब कुछ युवाओं ने माझी को इस तरह अपने कंधे पर शव को उठाकर ले जाते देखा तो तुरंत एंबुलेंस को फोन किया. फिर एम्बुलेंस में ही माझी की बीवी के शव को गांव भेजा गया.दाना माझी ने बताया कि मैंने अस्पताल के प्रशासन को कहा था कि मैं बहुत ही गरीब आदमी हूं. गाड़ी के लिए पैसे नहीं जुटा सकता. कई बार कहने के बाद भी मुझे कोई मदद नहीं मिली.
लेकिन वहीं दूसरी और पटनायक सरकार कालाहांडी की जिला कलेक्टर बु्रंद्धा डी ने कहा कि माझी ने गाड़ी का इंतजार ही नहीं किया. वरना हम शव को गाड़ी में ही भिजवाते.
बु्रंद्धा डी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की अंतिम संस्कार मदद योजना के तहत माझी को 2000 रुपए का अनुदान दिया गया है. इसके अलावा जिला रेड क्रॉस फंड के तहत भी उसे 10,000 रुपए मुहैया कराए गए हैं.
घटना पर क्षोभ जाहिर करते हुए, कालाहांडी के पूर्व सांसद भक्त चरन दास ने कहा कि आदिवासियों और दलितों के लिए विकास और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के वादे के बावजूद, नवीन पटनायक सरकार काम करने में विफल रही है.पहले भी लोगों अपने परिजनों के शवों को लादकर ले गए हैं. ऐसे केस लगातार दर्ज होने के बाद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है.
जब कुछ युवाओं ने माझी को इस तरह अपने कंधे पर शव को उठाकर ले जाते देखा तो तुरंत एंबुलेंस को फोन किया. फिर एम्बुलेंस में ही माझी की बीवी के शव को गांव भेजा गया.दाना माझी ने बताया कि मैंने अस्पताल के प्रशासन को कहा था कि मैं बहुत ही गरीब आदमी हूं. गाड़ी के लिए पैसे नहीं जुटा सकता. कई बार कहने के बाद भी मुझे कोई मदद नहीं मिली.

बु्रंद्धा डी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की अंतिम संस्कार मदद योजना के तहत माझी को 2000 रुपए का अनुदान दिया गया है. इसके अलावा जिला रेड क्रॉस फंड के तहत भी उसे 10,000 रुपए मुहैया कराए गए हैं.
घटना पर क्षोभ जाहिर करते हुए, कालाहांडी के पूर्व सांसद भक्त चरन दास ने कहा कि आदिवासियों और दलितों के लिए विकास और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के वादे के बावजूद, नवीन पटनायक सरकार काम करने में विफल रही है.पहले भी लोगों अपने परिजनों के शवों को लादकर ले गए हैं. ऐसे केस लगातार दर्ज होने के बाद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है.
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