कश्‍मीर के लिए आखिरी बाजी हैं राजनाथ! नहीं सुधरे हालात तो केंद्र उठाएगा ये कदम

कश्मीर घाटी में हिंसा और झड़पों का दौर बीते 48 दिनों से जारी है. आतंकी बुरहान वानी के खात्मे के बाद बेकाबू हुए हालात संभलने का नाम नहीं रहे, लिहाजा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस ओर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. घाटी में एक ओर जहां बीएसएफ की तैनाती कर दी गई है, वहीं अमन और शांति की बहाली के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह आखि‍री बाजी लगाने खुद श्रीनगर में हैं. rajnath-singh-mehbooba-mufti_
सूत्रों के मुताबिक, राजनाथ सिंह से कहा गया है कि वह अपने दो दिवसीय श्रीनगर दौरे पर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, विपक्ष और समाज के तमाम पक्षों के नेताओं से मुलाकात करें. गृह मंत्री से मुख्यमंत्री मुफ्ती को रॉयट एक्ट पढ़ाने की सलाह दी गई है. केंद्र का मकसद जल्द से जल्द कश्मीर में शांति बहाली है. अपनी मुलाकात में राजनाथ केंद्र की ओर से महबूबा से कहने वाले हैं कि वह घाटी में आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों और संगठनों पर लगाम लगाए.
शांति बहाली के लिए बेचैन है केंद्र
बताया जाता है कि केंद्र सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि कश्मीर में हिंसा का दौर को अब 50 दिन होने को आए हैं, लेकिन बावजूद इसके इस पर काबू नहीं पाया गया है. मोदी सरकार चाहती है कि किसी भी सूरत में अगस्त के अंत तक इस समस्या का समाधान कर लिया जाए.

...तो पीडीपी से गठबंधन तोड़ लेगी बीजेपी
यही नहीं, समझा जा रहा है कि केंद्र की ओर से राज्य सरकार को यह स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि अगर वह इस पर काबू पाने में विफल रहती है तो बीजेपी खुद को गठबंधन से अलग कर लेगी. अगर ऐसा होता है तो राज्य में एक बार फिर गवर्नर रूल लागू हो सकता है. केंद्र से जुड़े एक वरिष्ठ अधि‍कारी ने कहा, 'राजनाथ सिंह को भेजना केंद्र की इस ओर आखि‍री और सबसे पुरजोर कोशि‍श है. अगर यह असफल होता है तो सरकार आगे कड़े कदम उठा सकती है.'

केंद्र ने तैयार की 80 लोगों की सूची
जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार की ओर से महबूबा मुफ्ती को घाटी में ऐसे 80 लोगों की सूची भी उपलब्ध करवाई गई है, जो पत्थरबाजी और विरोध प्रदर्शन के लिए उकसाने, इसका आयोजन करने और ऐसे कार्यक्रमों का समर्थन करते हैं.

प्रतिनिधि‍मंडलों से मिले राजनाथ
राजनाथ सिंह ने बुधवार को सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, विपक्षी दल नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की. सूत्र बताते हैं कि मुख्यधारा के राजनेताओं ने केंद्र सरकार पर अलगाववादी नेताओं सहित सभी संबंधित पक्षों से बात करने का दबाव डाला

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