मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर 136116 एकड़ धान किसानों द्वारा पंजीकृत ही नहीं कारवाई गई तब इसे किस आधार पर वैरिफाई किया गया व खरीद किस आधार पर की गई : गुरनाम सिंह चढूनी
• धान खरीद सुनियोचित घोटाला था कृषि मंत्री हरियाणा के नाक के नीचे हुआ ये घोटाला इसलिए अपने पद से इस्तीफा दे कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा : गुरनाम सिंह चढूनी
• घोटाला उजागर करने वालों के पास नही है जमीन तब कृषि मंत्री बताए 136116 जमीन किसकी है और कहा से आई कहा स्थित है : गुरनाम सिंह चढूनी
• भिवानी, गुरुग्राम, महेद्रगढ़, रेवाडी, मेवत, चरखी दादरी जिलो में 64726 एकड़ धान की पैदावार दर्शाई गई खरीदी एक दाना भी नही तब ये धान कहा गई, जब धान लगाई ही नहीं गई तब मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर दर्ज कैसे हुआ यदि धान पैदा हुई तो इन जिलो में खरीद क्यो नही हुई ? : गुरनाम सिंह चढूनी
• अगर खरीद को लेकर सरकार की नियत ठीक थी तब जिन अधिकारियों व कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के केस दर्ज है उन्हे खरीद की जिम्मेदारी क्यो सौपी गई : गुरनाम सिंह चढूनी
• मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल चलाने, निगरानी करने वाले, अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्यवाही क्यो नही की गई
• इस घोटाले में कृषि एंव किसान कल्याण विभाग, मंडी बोर्ड प्रशासन, खरीद एजंसियों के अधिकारी शामिल है
• हमारी माँग है इस धान घोटाले की जाँच निष्पक्ष सी॰बी॰आई॰ से कारवाई जाए : गुरनाम सिंह चढूनी
चंडीगढ़: उपरोक्त कथन संबधी विस्तृत यह जानकारी आज भारतीय किसान यूनियन चढूनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह चढूनी ने दी इस धान घोटाले को उजागर करते हुए उन्होने ने बताया की इस घोटाले में कृषि एंव किसान कल्याण विभाग, मंडी बोर्ड प्रशासन, खरीद एजंसियों शामिल है कृषि एंव किसान कल्याण विभाग ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल चलाया हुआ है इस पोर्टल की शुरुवात इसलिए की गई थी ताकि प्रदेश के हर किसान की फसल दाना दाना खरीदा जा सके और अन्य राज्यो से फसल लाकर बेचने वालो पर रोक लगाई जा सके और मंडियो में होने वाले खर्जीवाड़े को रोका जा सके और राज्य सरकार को होने वाले राजस्व के नुकसान से बचाया जा सके परंतु यह पोर्टल ही घोटले का बड़ा कारण बन गया है इस पोर्टल के मध्यम से इस धान खरीद सीजन में मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर गैर बासमती धान का कुल 4,83,897 किसानो ने 28,80,192 एकड़ भूमि पंजीकृत कारवाई परंतु अचभित है की कृषि विभाग ने 3016285 भूमि वैरिफाई कर दिया यानि 136116 एकड़ पंजीकृत से भी ज्यादा कर दी गई इसी प्रकार 7 जिले रोहतक, भिवानी, गुरुग्राम महेद्रगढ़, रेवाड़ी, मेवात, चरखी दादरी जिनमे 64726 एकड़ पोर्टल पर दर्ज है लेकिन इन जिलो मे कोई खरीद नहीं की गई है जिससे यह मांलूम होता है की इन जिलो में धान थी ही नही और यह पोर्टल केवल घोटाला करने की नियत से किया गया है यदि दोनों को जोड़ा जाए 200842 एकड़ रकबा बनता है यदि प्रति एकड़ 30 किवंटल औसतन लगाया जाए 60,25,260 किवंटल धान बनता है जो एम.एस.पी. और अन्य खर्च जोड़कर लगभग 2841 प्रति किवंटल बनता है जिसकी कुल कीमत लगभग 1712 करोड़ बनते है जो सीधा घोटाला है इसके ईलावा मंडियो में जो पोर्टल किसानो के नाम दर्शया गया उसमें भी काफी ज्यादा नदी, नाला व अवैध क्लोनियों की जमीनों व जिन खेतो में पापलूर या गन्ना या अन्य फसल लगी है उन्हे भी वैरिफाई कर दिया गया है और अवैध रूप से दर्शया गई जमीन पर 1200 रुपए प्रति एकड़ पारली प्रबधन के भी सरकार द्वारा दिए जाएगे जिसकी निष्पक्ष जाँच की जाए तो हमे शंका है यह घोटाला 10 हजार करोड़ से ऊपर का होगा यह पैसा काले धन को सफ़ेद करने का जरिया भी है और जिससे सरकार को हजारो करोड़ रुपए के इन्कम टैक्स का नुकसान भी होगा ।
जाँच के नाम पर खानापूर्ति चल रही है अभी तक मेरी फसल मेरे ब्यौरे पोर्टल की वैरिफाकेशन करने वाले किसी भी अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई जिन्होने घोटाला करने की नियत से वैरिफाई किया जिसकी तमाम जिम्मेदारी कृषि एंव किसान कल्याण विभाग व कृषि मंत्री की बनती है ।
दूसरी जाँच खरीद एजन्सीयों की बनती है जिन्होने बिना पैदावार के धान को खरीद लिया इसमें खरीद एजन्सीयों सहित, शैलर मलिक, आढ़ती, मंडी बोर्ड़ के कर्मचारी अधिकारी शामिल है जिन्होने घोटाला करने की नियत से ही बिना गाड़ी के तुलाई किए आउटगोइंग गेट पास कट दिए जो खरीद पोलसी के बिन्दु नंबर 14 का उलघन है और मंडी के कैमरे व शैलरो के केमरे व GPS सिस्टम की जाँच नही की गई व आउटगोइंग गेट पास के टाइम का मिलान नही किया गया है दूसरे प्रदेशों से आए धान व चावल को किसानो के द्वारा पकड़वाने के बाद व मीडिया व अखबारो में खबरे छपने के बाद भी नहीं रोका गया जो सीधा शैलरों में गया बल्कि खरीद नीति के खिलाफ दूसरे प्रदेशों से पुराना चावल मँगवाकर राइस मिलो में रखा गया अवैध चावल सरकारी धान बनाकर इसकी मार्किट फीस भरवाकर उसे वैध धान दर्शा दिया गया ।
फिजिकल वैरीफिकेशन के नाम पर खानापूर्ति की जाती है हमारे देखने मे आया है कि जाँच के लिए उन्ही अधिकारियों व कर्मचारियों को लगा दिया जाता है जो खुद खरीद घोटले में शामिल होते है अब इस घोटले को पकड़ने के लिए धान कुटाई से पहले सीबीआई से फिजिकल वैरीफिकेशन कारवाई जानी चाहिए जब तक सीबीआई फिजिकल वैरीफिकेशन न करे तब तक धान कि कुटाई के आदेश न दिए जाए और कुटाई बंद रखी जाए ।
तीसरी जाँच मंडी प्रशासन ने बिना धान आए इन कमिंग गेट पास काटे गए और बिना धान के खरीद दर्शा दी गई और मंडी के सभी दस्तावेज पूरे कर दिए गए बड़ी बात यह है धान खरीद शुरू होते ही यह घोटला कर दिया गया ताकि शैलर मालिको के पास जल्द पैसा आए और उस पैसे का दूसरे प्रदेशों से धान व चावल मँगवा सके ।
किसी भी खरीद निगरानी अधिकारी ने अपनी जिम्मेदारी न निभाते हुए सीजन के दौरान कोई जाँच नहीं की और इस घोटले को अंतिम रूप तक पहुचने दिया ।
इस घोटाले का एक रूप यह भी है कि PDS स्कीम के तहत गरीबो को बाँटे जाने वाला चावल गरीबो को न बाँटकर यह पुराना चावल सस्ते में शैलर मालिक खरीद कर सरकारी चावल में मिलकर एफ़.सी.आई. को पहुँचते है जिसमें सरकार को सीधा नुकसान होता है और शैलर मालिक मोटा मुनाफा कामते है ।
इस घोटाले से हरियाणा के किसानो को 17% नमी (खरीद नोर्म पूरे करने) वाले धान पर भी MSP से 200-500 रुपए किवंटल तक का कट लगाया गया यदि हरियाणा वास्तविक खरीद 40 लाख टन माने और 200 रुपए प्रति किवंटल कट माने तो भी हरियाणा के किसानो 800 करोड़ रुपए का नुकसान आँका गया है यही धान उत्तर प्रदेश के किसानो से करीब 800 किवंटल कम में खरीदा गया इस घोटाले के चलते मंडियो से उठान लेट होने के कारण किसानो को पैसा भी 15 से 20 दिन लेट।
हमारी माँग है कि इस महा धान घोटाले के चलते जो लगभग 10 हजार करोड़ से ऊपर का बनता है कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री व खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग हरियाणा को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए अपने अपने पदो से इस्तीफा दे देना चाहिए और सरकार को अपनी ईमानदारी दिखाते हुए इस महा धान घोटाले कि जाँच सी.बी.आई. से करवानी चाहिए ।
इस प्रैस वार्ता में कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष कर्म सिंह मथाना व मीडिया प्रभारी राकेश कुमार बैंस मौजूद थे
सभी आँकड़े ई -खरीद व मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल से लिए गए है :-
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