अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिल्पकला के बेहतर नमूनों ने महोत्सव पर छोड़ी अपनी अनोखी छाप

 

चंडीगढ़,23 नवंबर - कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर ब्रह्मसरोवर के पावन घाटों पर अलग-अलग राज्यों से पहुंचे शिल्पकारों की शिल्पकला ने पर्यटकों के मन को मोह लिया है। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 5 दिसंबर तक लगने वाले इस सरस और क्राफ्ट मेले में शिल्पकारों की अनोखी शिल्पकला की मेहनत के सार को खुद में ही ब्यां कर रही है। इतना ही नहीं इस सरस और क्राफ्ट मेले में विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों ने अपनी हस्त शिल्पकला को अदभुत तरीके से सजाने का काम किया गया है।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तटों पर शिल्पकारों ने अपनी शिल्पकला को सजाया हुआ है। ये शिल्पकार अपने साथ लकड़ी का बना साज्जो-सजावट का सामान लेकर आए है। वे यह सारा सामान नीमशीशम व टीक की लकड़ी से बनाते है तथा इसको बनाने में कम से कम 2 से 4 दिन का समय लगता है। शिल्पकारों ने बातचीत करते हुए कहा कि अपनी हस्त शिल्पकला का प्रदर्शन वे अन्य राज्यों में भी करते है। वे इस गीता अंतरराष्ट्रीय महोत्सव में हर वर्ष आते है तथा इस बार वे अपने साथ झूलाकॉफी सेटटी सेटरॉकिंग चेयररेस्ट चेयरफ्लावर पोर्टकार्नर व स्टूल लेकर आए है। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर इस अदभुत शिल्पकला ने एक अनोखी छाप छोड़ी है।

महोत्सव में दूर दराज से आए शिल्पकारों की अनोखी शिल्पकला से ब्रह्मसरोवर का पावन तट सज चुका है। पिछले वर्ष के अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पर्यटकों ने लाखों रुपए का समान खरीदा था। इस बार भी अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है। शिल्पकारों की हस्त की शिल्पकला को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ से यह उत्साह देखने को मिल रहा है तथा इन शिल्पकारों की शिल्पकला से बनी अनोखी वस्तुओं को पर्यटक जमकर खरीदारी कर रहे है। लकड़ी के शानदार झूले बच्चों को काफी पंसद आ रहे है और झूलने वाली चेयर पर बच्चे बैठकर अपनी फोटो खिंचवाकर खुश हो रहे है।

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