भाजपा चार्जशीट: गेरकानूनी माइनिंग, बाढ़ कुप्रबंधन और ₹12,500 करोड़ SDRF घोटाले में आप सरकार दोषी

चंडीगढ़ :  वर्ष 2025 की विनाशकारी बाढ़ ने पंजाब में भगवंत मान–नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार की बाढ़ से  पूर्व बचाव के लिए,  बाढ़ के दौरान सहायता के लिए और  बाढ़ के बाद पुनर्वास सुनिश्चित करने में भारी विफलता को उजागर कर दिया है। यह आरोप पंजाब भारतीय जनता पार्टी  की चार्जशीट में लगाए गए हैं, जिसे भाजपा पंजाब के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने पार्टी मुख्यालय, चंडीगढ़ में जारी किया।




शर्मा ने कहा, “बार-बार चेतावनियों, विशेषज्ञों की रिपोर्टों और केंद्र द्वारा कई हजार करोड़ दिए जाने के बावजूद पंजाब सरकार अपने लोगों की रक्षा करने या प्रभावी ढंग से सहायता देने में बुरी तरह नाकाम रही।” इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष बिक्रम सिंह चीमा, डॉ. सुभाष शर्मा और प्रदेश मीडिया प्रमुख विनीत जोशी भी मौजूद थे।

उन्होंने कहा कि 2023 की बाढ़ से कोई सबक नहीं लिया गया। “न तो कोई जांच पूरी हुई और न ही अहम सिफारिशों को लागू किया गया। मौसम विभाग की शुरुआती चेतावनियों के बावजूद आप सरकार ने बचाव के लिए ठोस कदम नही लिए । मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य से बाहर दौरों में व्यस्त थे, जबकि पंजाब बाड़ से डूब रहा था।”

उन्होंने नदियों के तटबंध, हेडवर्क्स और नदियों की भयावह बदइंतजामी का उदाहरण दिया। “कई रिपोर्टों ने पंजाब की नदियों पर 133 संवेदनशील बिंदुओं की पहचान की थी। तात्कालिक कदम उठाने की बजाय सरकार ने नदियों के किनारे अवैध खनन को बढ़ावा दिया, जिससे तटबंध कमजोर हुए और बड़े पैमाने पर टूट गए  ।”

शर्मा ने आगे कहा, “माधोपुर फ्लडगेट, जिनकी खराब हालत के बावजूद झूठे रूप में ‘सुरक्षित’ बताया गया, के गिरने से पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर में भयानक तबाही हुई और हजारों परिवार बर्बाद हो गए।

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा पंजाब की आप सरकार को बाढ़ से पहले रोकथाम, बाढ़ के दौरान राहत और बाढ़ के बाद पुनर्वास कार्यों के लिए दिए गए ₹12,500 करोड़ एसडीआरएफ को मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनके वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने खुर्द पुर्द कर दिए ।

शर्मा ने कहा, “सरकार के राहत कार्य केवल प्रचार स्टंट बनकर रह गए — असली काम की जगह फोटो खिंचवाने को तरजीह दी गई। नावें, भोजन और चिकित्सकीय सहायता गंभीर रूप से कम पड़ी। मुख्यमंत्री का बाढ़ग्रस्त जिलों से नदारद रहना और लगातार केंद्र पर दोष मढ़ना उनके पंजाब की पीड़ा के प्रति असंवेदनशील रवैये को उजागर करता है।”

अंत में उन्होंने कहा, “पंजाब को जिम्मेदार, पारदर्शी और संवेदनशील नेतृत्व की जरूरत है — न कि ऐसे नेतृत्व की, जो जनता के डूबने पर भी नारों के पीछे छिपा रहे।”

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