चितकारा इंटरनेशनल स्कूल में सिनेमैस्ट्रो – टेक 7: अभिनेत्री शेफाली शाह और सिनेमैटोग्राफर अमिताभा सिंह ने उभरते फिल्मकारों को किया प्रेरित
चंडीगढ़, 6 अक्टूबर: प्रख्यात अभिनेत्री शेफाली शाह ने चितकारा इंटरनेशनल स्कूल चंडीगढ़ में आयोजित ‘सिने-मैस्ट्रो – शेपिंग फ्यूचर फिल्ममेकर्स: फिल्म फेस्टिवल एंड अवॉर्ड्स के 7वें संस्करण के दौरान अपनी रचनात्मकता और कहानी कहने की कला पर गहन विचार साझा करते हुए युवा फिल्मकारों को प्रेरित किया। यह वार्षिक आयोजन चितकारा यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित और सिनेविद्या के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने फिल्म निर्माण और सिनेमा की अभिव्यक्ति के उत्सव सिनेविद्या को मनाया।
फेस्टिवल के दौरान स्कूल का ऑडिटोरियम एक जीवंत “रेड कार्पेट” माहौल में तब्दील हो गया, जहाँ छात्रों, शिक्षकों और अतिथियों ने चितकारा इंटरनेशनल स्कूल और अन्य विद्यालयों के छात्रों द्वारा निर्मित 20 लघु फिल्मों का प्रदर्शन देखा। इन फिल्मों में मानसिक स्वास्थ्य, मित्रता, दृढ़ता, आत्म-अभिव्यक्ति और सामाजिक न्याय जैसे विविध विषयों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया।कार्यक्रम के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए शेफाली शाह ने संदेश दिया कि वे “अपनी रचनात्मक यात्रा में कल्पनाशीलता, धैर्य और ईमानदारी को अपनाएँ” तथा सिनेमा की उस शक्ति को समझें जो समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखती है।
सिनेविद्या के संस्थापक एवं प्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर अमिताभा सिंह ने भी दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि सिनेमा एक ऐसा माध्यम है जो शिक्षार्थियों को “निडर होकर सोचने, साहसपूर्वक सृजन करने और प्रभावशाली कहानियाँ कहने” का अवसर देता है।
इस साल के ‘सिने-मैस्ट्रो’ में 20 उत्कृष्ट छात्र-निर्मित फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। छात्रों द्वारा बनायीं गयी फिल्मों ने मानवीय अनुभवों के विविध रंगों को दिखाया—और यह संघर्ष, आत्म-खोज, साहस, दोस्ती, सहानुभूति और पहचान की खोज जैसे विषयों पर केंद्रित रही। वन होप, साइलेंट स्टॉर्म्स, द डिटेंशन फाइल्स और मिसफिट जैसी फिल्मों ने मानसिक स्वास्थ्य, बुलिंग और आत्म-संघर्ष जैसे मुद्दों को छुआ, जबकि परवाज़: राइजिंग फ्रॉम स्ट्रेंजर टू स्टार, जस्ट ए हैंड अवे और अनकहे धागे जैसी फिल्मों ने करुणा, आत्म-अभिव्यक्ति और मानवीय जुड़ाव को खूबसूरती से पेश किया। वहीं आज की ताज़ा खबर, रैंक वर्सेस ज़िंदगी और 23-12 जैसी सामाजिक चेतना से भरी फिल्मों ने समाजिक दबाव, उम्मीदों और संवेदनशीलता की जरूरत को उजागर किया।
कार्यक्रम में चितकारा यूनिवर्सिटी के मास कम्युनिकेशन और एजुकेशन विभाग के छात्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उन्हें फिल्म और मीडिया प्रबंधन का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम की सफलता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डॉ. नियति चितकारा, वाइस प्रेसिडेंट, चितकारा इंटरनेशनल स्कूल्स, ने कहा कि, “सिने-मैस्ट्रो छात्रों की कल्पनाशक्ति, नवाचार और उनकी अद्भुत क्षमता का उत्सव है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से हम उन्हें शेफाली शाह और अमिताभा सिंह जैसे प्रख्यात हस्तियों से सीखने का अवसर प्रदान करते हैं, ताकि वे कल के कहानीकार और दूरदर्शी बन सकें।”
दिन का समापन शानदार अवार्ड सेरेमनी के साथ हुआ, जिसमें बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट फिल्म, बेस्ट सिनेमैटोग्राफी, बेस्ट एडिटिंग, बेस्ट साउंड डिजाइन, बेस्ट एक्टर और बेस्ट स्क्रीनराइटिंग सहित कई श्रेणियों में पुरस्कार वितरित किए गए। विजेताओं को ट्रॉफी, प्रमाणपत्र और उपहार देकर सम्मानित किया गया।
‘सिने-मैस्ट्रो – टेक 7’ सिर्फ एक फिल्म प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच साबित हुआ जहाँ छात्रों ने कहानी कहने, सहयोग और दृश्यात्मक रचनात्मकता की शक्ति को खोजा, जो चितकारा इंटरनेशनल स्कूल की उस प्रतिबद्धता को दोहराता है जिसके तहत वह भविष्य के सक्षम फिल्मकारों को तैयार करने के लिए समर्पित है।
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