चंडीगढ़, 09 दिसंबर। सांसद दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी हार्दिक राठी की मौत के मुद्दे पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिले और उन्हें परिवार की तरफ से दायर FIR से भी अवगत कराया और कहा कि हरियाणा में खेल स्टेडियम की दुर्दशा के कारण उन्होंने 3 साल पहले अपने एमपी कोटे से साढ़े 18 लाख रुपये दिये, जो लगाये नहीं गये और अधिकारी फाइलें घुमाते रहे। जिसकी वजह से राष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी हार्दिक राठी को अपनी जान गंवानी पड़ी। स्टेडियम की मरम्मत के लिए उनकी सांसद निधि से दिये गये साढ़े 18 लाख रुपये खर्च नहीं करने के पीछे अफसरों की आपराधिक लापरवाही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सदन के संरक्षक के रूप में स्पीकर इस मामले का संज्ञान लें और आगे कार्रवाई करें। देश में एमपी कोटे के क्रियान्वयन के लिये नये दिशा-निर्देश और नियम बनाएं ताकि स्थानीय अफसरों की जिम्मेदारी तय हो सके। सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में जय प्रकाश जेपी, सांसद वरुण मुलाना मौजूद रहे।

सांसदों के प्रतिनिधिमण्डल की मांग पर लोकसभाध्यक्ष ने तुरंत इस विषय का संज्ञान लेते हुए एमपीलैड कमेटी के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को तलब किया और निर्देश दिया कि स्पीकर की अध्यक्षता में जल्द एक राष्ट्रीय बैठक बुलायी जाए, जिसमें देश भर के सांसदों को आमंत्रित किया जाए। उस बैठक के माध्यम से एमपीलैड के क्रियान्वयन के लिये नये दिशा-निर्देश व नियम बनाये जायेंगे ताकि देश में सांसद निधि के क्रियान्वयन में देरी के लिये जवाबदेही तय हो सके। स्पीकर ने एमपीलैड कमेटी के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को यह भी निर्देश दिया कि रोहतक डीसी से बात करके रोहतक मामले की जांच कराकर रिपोर्ट लोकसभाध्यक्ष को सौंपी जाए।
लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला को दिए पत्र में दीपेन्द्र हुड्डा ने MPLADS के मंज़ूर कामों को जानबूझकर पूरा न करने को विशेषाधिकार उल्लंघन और सदन की अवमानना का मामला बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सांसद निधि से मंज़ूर कामों को जानबूझकर पूरा न करने की वजह से रोहतक के लखन माजरा गांव के स्पोर्ट्स स्टेडियम में 25 नवंबर 2025 को, प्रैक्टिस के दौरान 16 साल के राष्ट्रीय स्तर के बास्केटबॉल खिलाड़ी हार्दिक राठी की दु:खद मृत्यु हो गई थी। जंग लगने से जर्जर हो चुका बास्केटबॉल पोल उन पर गिर गया। अधिकारियों को इस बारे में खिलाड़ियों और कोच ने बार-बार चेताया था कि यह बेहद खतरनाक हो चुका है। दुर्घटना को रोकने के लिए ही मैंने स्टेडियम के नवनिर्माण के लिए अपने MPLADS से साढ़े 18 लाख रुपये दिए थे। जिसे अधिकारी फाइलों में घुमाते रहे।
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